महंत चंद्रभारती महाराज ने नई परम्परा कायम की |
महंत चंद्रभारती महाराज ने नई परम्परा कायम की (अनिल सक्सेना/ललकार) रविवार को जब राजस्थान के पूर्व गृहमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता गुलाबचन्द्र कटारिया महंत चन्द्रभारती महाराज से मिलने पहुंचे और चर्चा की तो मुझे समझ आ गया कि कुंडली विशेषज्ञ महंत जी से मिलने कटारिया जी क्यों पहंुचे हांेेगे । चित्तौड़ शहर में स्थित हजारेश्वर महादेव के महंत नागा साधु चंद्रभारती जी महाराज ने कोविड-19 के कारण हुए लाॅकडाउन में जागरूकता लाने का कार्य करने के साथ ही जरूरमंदो को राशन सामग्री भी वितरित की । इसके साथ ही प्रधानमंत्री सहायता कोष में एक लाख और मुख्यमंत्री सहायता कोष में पचास हजार की सहायता राशि दी । सबसे अच्छी बात यह है कि अभी तक हम यही सुनते आये है कि संत महाराज को दक्षिणा देनी होती है लेकिन इस कलयुग में महंत जी ने एक नई पंरपरा कायम की और उनको देखते हुए दूसरे महंत भी आगे आए । मुझे याद है आज से लगभग दस साल पहले कांग्रेस नेता पार्षद रणजीत लोट मुझे महंत चन्द्रभारती जी महाराज के पास ले गए और मेरी कंुडली दिखाई। उन्होने पहली ही मुलाकात में मेरे और मेरे परिवार के लिए कई बातें बताई, जो सच थी । इसके साथ ही भविष्य की कुछ बाते भी बताई जो धीरे-धीरे सच होने लगी, मेरा विश्वास बढ़ता चला गया। उन्ही के मार्गदर्शन में हनुमान जी की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा करवाने की मेरी इच्छा पूर्ण हुई और उसके बाद राधा-कृष्ण भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा मेरे हाथों से हुई। सबसे बड़ी बात यह है कि भगवान हनुमान जी के आशीर्वाद और मंहत चन्द्रभारती महाराज के मार्गदर्शन से कई पंडितों के सानिध्य में हुए इन दोनो धार्मिक आयोजनों में किसी से चंदा नही लिया गया , जो मेरे लिए बहुत संतुष्टिपूर्ण था । राधा-कृष्ण मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा में उज्जैन से विख्यात बालयोगी श्री उमेशनाथ जी महाराज भी आशीर्वाद देने चित्तौड़ आए । कोई तो कारण होगा कि संत चंद्रभारती जी महाराज के पास गुजरात, महाराष्ट्र , पंजाब मध्यप्रदेश जैसे कई राज्यों से भक्तगण आते है और विदेश में भी उनके भक्त है। सबसे बड़ी बात तो यही है कि आज भी हमारे चित्तौड़ में ऐसे संत है जो मुसीबत में लोगों के काम आतें है और हमें भी इनसे सीखने की जरूरत है । ( Since 1949 ’ललकार’ समाचार पत्र) |
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